वकील हूँ। आपको सटीक जवाब ही दूँगा।
तो जनाब जब भी आपकी गाड़ी किसी भी इंसान से टकरा जाती है और उस व्यक्ति को चोट लग जाती है या उसकी मृत्यु हो जाती है तो ऐसे में क्या करना चाहिए, आइये आपको बताता हूँ।
अब इंसानियत के हिसाब से देखे तो एक्सीडेंट होने के बाद हमें रुक कर चोट लगे इंसान को अपनी गाड़ी में डालकर हॉस्पिटल ले जाना चाहिए परंतु प्रैक्टिकली यह संभव नहीं होता। क्योंकि एक्सीडेंट होने पर अक्सर भारी भीड़ जमा हो जाती है और एक्सीडेंट करने वाले को दोषी मानकर उसके साथ मारपीट करना शुरू कर देती है तथा कई बार यह देखा गया है की गाड़ी में भी आग लगा दी जाती है।
अब ऐसे में यदि आप चंपत हो गए गाड़ी लेकर तो ये माना जाएगा के आप कानून से भागे और आपने किसी को चोट पहुँचाने के बाद उसकी कोई मदद नही की, और यदि ऐसा हुआ तो आपके ऊपर आई.पी.सी की धारा 304 लग जाए और आपको 10 वर्ष तक कि जेल या जुर्माना हो सकता है यदि एक्सीडेंट में किसी इंसान की आपसे मृत्यु हो जाती है।
यहाँ आपको ये बता दूँ कि एक्सीडेंट में यदि आपसे मृत्यु हो जाती है तो आमतौर से आपके ऊपर धारा 304 A लगती है, जिसमे अधिकतम 2 साल की सज़ा तथा जुर्माने का प्रावधान है। परंतु यदि आप एक्सीडेंट करके भाग गए तो ये माना जाएगा कि आप जानते थे कि आपने किसी को टक्कर मारी है और उसकी मदद ना करने पर उसकी मृत्यु हो सकती है, और आप भाग गए, इस कारण धारा 304 लग जाती है जिसमे 10 साल की सज़ा है।
तो अब क्योंकि आप मदद करने का महत्व समझ चुके है और चंपत होने के नुक्सान भी जान गए है तो अब आपको सही तरीका बताता हूँ जो आपको अचानक हुए एक्सीडेंट में अपनाना चाहिए ताकि आपको कानून कठोर सजा से दंडित ना करे।
तो जनाब यदि आपका एक्सीडेंट किसी सुनसान सड़क पर हो जाता है और पब्लिक से किसी प्रकार का कोई खतरा नही है तो बिना देरी करें अपनी गाड़ी में चोटिल इंसान को डालकर नज़दीकी हॉस्पिटल में ले जाए। अब यदि हल्की चोट है तो मरहम पट्टी करवाकर उसके इलाज का खर्च देकर आप पीड़ित को संतुष्ट करके घर जा सकते है।
अब यदि एक्सीडेंट इतना ज़ोरदार हुआ है कि संभावना है कि व्यक्ति की मृत्यु हो गई होगी तथा उग्र भीड़ है तो आप ऐसे में पब्लिक की पिटाई से बचने के लिए गाड़ी को कुछ किलोमीटर आगे ले जाकर रोक लीजिए तुरंत पुलिस की हेल्पलाइन 112 पर कॉल कीजिए और और पुलिस को बताइए कि एक एक्सीडेंट इस जगह पर हो गया है जल्द से जल्द एंबुलेंस भेजें ताकि घायल को उपचार मिल सके। आप अपना नाम भी उन्हें जरूर बताएं।
अब क्योंकि पुलिस को की गई कॉल का रिकॉर्ड रहता है और ऐसे रिकॉर्ड को बाद में आप आर.टी.आई के माध्यम से निकालकर सबूत दे सकते है कि आपने पीड़ित की सहायता के लिए कॉल किया था, ऐसा सबूत आपको बाद में ये साबित करने में मदद करेगा कि आपकी मंशा चोटिल इंसान की मदद करने की थी भागने की नही।
अब आप चाहे तो सीधा थाने जाकर सरेंडर कर सकते है, और सारी घटना के बारे में बताकर बिना जेल जाए घर भी आ सकते है वो भी उसी दिन। अरे चौकिए नही जनाब, मैं सही कह रहा हूँ, एक्सीडेंट द्वारा हुई मृत्यु धारा 304 A का अपराध है, और ये धारा एक जमानतीय धारा है, जिसका मतलब ये हुआ कि पुलिस आपको या तो थाने से ही ज़मानत पर छोड़ देगी, या आपको अदालत में पेश करेगी तो भी आपको तुरंत जमानत मिल जाएगी। क्योंकि जमानीतिये अपराधों में जमानत अधिकार होती है, और इस अधिकार को पुलिस या अदालत आपसे नही छीन सकती।
एक बात हमेशा याद रखे, कभी सीधे पुलिस थाने मत जाए, क्योंकि ये हो सकता है कि पुलिस आपसे सम्मान की मांग करें और ना देने पर केस में झूठ लिखें कि आप उसके पास नहीं आए थे बल्कि उसने आपको पीछा करके गिरफ्तार किया था ऐसे में आपके ऊपर धारा 304 लगेगी इसमें 10 साल की सजा है तथा अपराध जमानती नहीं है।
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