रुक्मिणी रियार शुरू में बहुत अच्छी स्टूडेंट नहीं थी और छठी क्लास में फेल हो गई थीं. फेल होने के बाद उन्होंने फैमिल मेंबर्स और टीचर्स के सामने जाने की हिम्मत नहीं की और यह सोचकर शर्मिंदा हो गईं कि बाकी लोग इसके बारे में क्या सोचेंगे. इससे वह तनाव में रहती थीं. कई महीने बाद उन्होंने खुद को इससे बाहर निकाला और डर को अपनी प्रेरणा बना लिया.
कहां से की पढ़ाई
रुक्मिणी रियार की शुरूआती गुरदासपुर से हुई. इसके बाद वह चौथी क्लास में डलहौजी के सेक्रेड हार्ट स्कूल गईं. 12 वीं कक्षा के बाद, रुक्मिणी ने अमृतसर में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय से सामाजिक विज्ञान में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट से सोशल साइंस से मास्टर डिग्री हासिल की और गोल्ड मेडलिस्ट बनीं.
पोस्ट-ग्रेजुएशन के बाद रुक्मिणी रियार ने प्लानिंग कमीशन के अलावा मैसूर में अशोदया और मुंबई में अन्नपूर्णा महिला मंडल जैसे एनजीओ के साथ इंटर्नशिप की. इस समय के दौरान, रुक्मिणी सिविल सेवा के प्रति आकर्षित थीं और यूपीएससी परीक्षा देना चाहती थीं.
इंटर्नशिप के बाद रुक्मिणी रियार ने सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी और कड़ी मेहनत से पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की. उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए किसी कोचिंग में दाखिला नहीं लिया और सेल्फ स्टडी पर भरोसा किया. रुक्मिणी ने 2011 में UPSC में AIR 2 हासिल की और IAS अधिकारी बनने के अपने सपने को पूरा किया.
यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए रुक्मिणी रियार ने छठी से 12वीं कक्षा तक एनसीईआरटी की किताबों से तैयारी की और इंटरव्यू की तैयारी के लिए वह रोजाना अखबार और मैगजीन पढ़ती थीं. रुक्मिणी ने परीक्षा के दौरान गलतियों को कम करने के लिए कई मॉक टेस्ट में हिस्सा लिया. रुक्मिणी ने पिछले कई साल के क्वेश्चन पेपर को भी हल किया.
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