पीतल का बैल :–
प्राचीन यूनान में अपराधियों को सजा देने का यह बहुत ही कॉमन तरीका था। पीतल से बने एक विशाल बैल के अंदर अपराधी को बैठा दिया था और उसके नीचे आग लगा दी जाती थी। दर्द में तड़पकर तिल-तिल कर वह अपराधी अपनी जान दे देता था।
तीन दिन में होती थी मौत :–
15वीं शताब्दी के रोमानिया में अपराधियों को मरने के लिए तीन दिन का इंतजार करना पड़ता था। उन्हें एक नुकीले डंडे पर बैठाकर उस डंडे को ऊपर की ओर उठा दिया था। अपराधी के वजन की वजह से वह नुकीला डंडा उसके शरीर में घुस जाता था। हवा में लटकता हुआ अपराधी तीन दिन की तड़प के बाद मरता था।
Best web stories siteनुकीला कड़ा:–
अपराधी की गर्दन में एक लकड़ी
या मेटल का बेहद नुकीला कड़ा डाला जाता था। जिसकी वजह से वह ना तो कुछ खा पाता था, ना कुछ पी पाता था। सोना तो बहुत दूर की बात है, वह महीनों तक अपनी गर्दन घुमा भी नहीं पाता था।
गर्म तेल से मौत:–
सजा देने के सबसे क्रूरतम और अमानवीय तरीकों में से एक है अपराधी के पेट या फिर शरीर के अन्य किसी हिस्से में गर्म तेल, तार या फिर खौलते हुए पानी को डालना। इसके बाद व्यक्ति की आंख में गर्म चांदी को डाला जाता था, यह बेहद कष्टदायक प्रक्रिया थी। धीरे-धीरे व्यक्ति दर्द से कराहते हुए अंतिम सांस लेता था।
कॉफिन टॉर्चर :–
मध्य युग में सजा देने का यह सबसे प्रचलित तरीका था। इस प्रक्रिया के तहत व्यक्ति को एक ऐसे कॉफिन या पिंजरे में डाला जाता था जो उसके शरीर के साइज से बहुत छोटा होता था। असहजता और गुनहगार की परेशानी को और बढ़ाने के लिए अत्याधिक भार वाले अपराधियों को अधिक छोटे पिंजरे में डाला जाता था।
पक्षियों का भोजन :–
इसके बाद इस पिंजरे को पेड़ से टांग दिया जाता था। उनका शरीर यह परेशानी नहीं सह पाता था और महीनों के कष्ट के बाद दम तोड़ देता था। इसके बाद भी अपराधी का मृत शरीर उसी पिंजरे में तब तक बंधा रहता था जब तक कि कौए और अन्य पक्षी उसके शरीर को अपना भोजन नहीं बना लेते थे।
हड्डियों को तोड़ना :–
प्राचीन समय में जब सभ्यता का नामोनिशान कहीं नहीं था तब व्यक्ति के भीतर भावनाओं का भी संचालन नहीं हुआ करता था शायद यही वजह है कि उस दौर में अमानवीयता की हद से भी आगे गुजरकर सजा दी जाती थी। इसी कड़ी में अगला नाम है विशिष्ट हथियार से पहले पैरों, हाथों की अंगुलियों को तोड़ना। उसके बाद घुटने और कोहनी की हड्डी को उसी हथियार से तोड़ डालना।
मनोरंजन का साधन :–
जीवित व्यक्ति को रस्सी की सहायता से पेड़ से टांग दिया जाता था। शिकारी पक्षी उसके जीवित रहते हुए भी शरीर का सारा मांस खा जाते थे। मध्ययुगीन लोगों के लिए यह मनोरंजन का साधन भी था।
जीभ काट डालना :–
खैर यह सब तो आज भी होता है लेकिन मध्ययुगीन हालातों में इसका स्वरूप और भी खतरनाक था। अपराधियों या अभियुक्तों की जीभ काटकर उन्हें तड़पता हुआ छोड़ दिया जाता था। कुछ जीवित बच जाते थे तो कुछ असहनीय दर्द की वजह से अपनी जान दे देते थे।
चूहों का भोजन :–
जीवित मनुष्य को एक तंग से डिब्बे में बंद कर उस डिब्बे में चूहों को छोड़ दिया जाता था। ये चूहे धीरे-धीरे कर उसका पूरा शरीर खा जाते थे।
सीमेंट के पैर :–
अमेरिका के माफियाओं द्वारा इस तरह की सजा का आरंभ किया गया था। वे ऐसा कर अपने दुश्मनों, जासूसों और सरकारी नुमाइंदों को सजा देते थे। इसके अंतर्गत पकड़े गए व्यक्ति के पैरों को सीमेंट से जमाकर उसे गहरे पानी या नदी में छोड़ दिया जाता था। पानी के भीतर तड़प-तड़पकर उसकी मौत हो जाती थी।
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