दूसरों की मदद करना मानवता की निशानी होता है. हमारे धर्म शास्त्रों में भी मानव धर्म निभाने और एक दूसरे की बुरे समय पर सहायता करने की बात कही गई है. आचार्य चाणक्य भी इसके पक्षधर थे. लेकिन उनका मानना था कि हर व्यक्ति मदद पाने योग्य नहीं होता. कुछ लोगों की मदद करना आपके लिए भी भारी पड़ सकता है.
आचार्य का मानना था कि व्यक्ति को कोई भी निर्णय समय, काल, परिस्थिति, धर्म और नीतियों को ध्यान में रखकर लेना चाहिए. चाणक्य नीति के अनुसार 3 तरह के लोगों की मदद नहीं करनी चाहिए. इनकी मदद करने पर आप मुश्किल में पड़ सकते हैं.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि
मूर्खाशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च, दु:खिते सम्प्रयोगेण पंडितोऽप्यवसीदति.
1. मूर्ख व्यक्ति
आचार्य ने इस श्लोक के जरिए पहले व्यक्ति की श्रेणी में मूर्ख व्यक्ति को रखा है. आचार्य का कहना था कि मूर्खों से जितनी दूरी बनाकर रखेंगे, आपके लिए उतना ही अच्छा है. मूर्ख को अगर आप ज्ञान देने की भूल करेंगे तो वो आपसे फिजूल के तर्क देगा. आप बेशक उसका भला सोचें, लेकिन वो आपकी बात को अन्यथा ही लेगा. ऐसे में आप सिर्फ खुद के समय और एनर्जी को बर्बाद करेंगे. ऐसे लोगों को समय को सौंप देना चाहिए. वक्त की ठोकर ही इन्हें कुछ सिखा सकती है. कई बार तो ये उससे भी नहीं सीख पाते.
2. बुरे चरित्र वाला
जिस व्यक्ति के पास चरित्र नहीं होता, उसके पास कुछ नहीं होता. वो व्यक्ति कभी भरोसे के लायक नहीं हो सकता. ऐसे लोगों से दूर रहने में ही समझदारी है. यदि आप चरित्रहीन व्यक्ति के साथ दिखे तो आपकी भी छवि धूमिल हो जाएगी. पापी और अधर्मी लोग हमेशा दूसरों को भी इसी दलदल में धकेलने की कोशिश करते हैं. इसलिए ऐसे लोगों से दूर रहने में ही आपका हित है.
3. बेवजह दुखी रहने वाला
चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति हमेशा असंतुष्ट रहता है, किसी न किसी बात को लेकर दुखी बना रहता है. उसकी मदद तो स्वयं भगवान भी नहीं कर सकते. बेवजह दुखी रहने वाले लोग वास्तव में दूसरों की तरक्की से जलते हैं. ईर्ष्या भाव रखते हैं और आगे बढ़ने वाले को पीछे धकेलने का प्रयास करते हैं. ऐसे लोगों की मदद करने की कोशिश भी की तो वे सिर्फ आपका फायदा उठाएंगे और छोड़ देंगे. इससे आप ही का नुकसान होगा. इसलिए इनकी मदद कभी न करें.
0 टिप्पणियाँ
Post acchi lagi ho to share karen...