chanakya niti ke fayde
क्या आप जीवन में खूब धन कमाना चाहते हैं! और हमेशा अमीर और सुखी रहना चाहते हैं! तो कुछ बातें आपको अपनाना बहुत जरूरी है! यदि आप ये बातें अपने जीवन में उतार लेंगे, तो आप हमेशा बेशुमार धन कमाएंगे और सम्मान पाएंगे!
कूटनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ आचार्य chanakya द्वारा लिखी गई:- मर जाना मगर, ये बात किसी को मत बताना | चाणक्य नीति
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चाणक्य नीति कब लिखी गई थी?
चाणक्यनीति ( चौथी-तीसरी शताब्दी ईसा. पूर्व लिखी गई) chanakya द्वारा लिखित सूत्र का संग्रह है। इसका पहला यूरोपीय अनुवाद 19वीं शताब्दी में Greek भाषा में किया गया था।
मूल चाणक्य नीति पुस्तक कौन सी है?
चाणक्य के लिए दो पुस्तकें जिम्मेदार हैं: अर्थशास्त्र, और चाणक्य नीति , जिसे चाणक्य नीति-शास्त्र भी कहा जाता है। अर्थशास्त्र की खोज 1905 में लाइब्रेरियन रुद्रपट्न शमशास्त्री द्वारा एक अज्ञात पंडित द्वारा oriental research institute मैसूर को दान की गई! प्राचीन ताड़-पत्ती पांडुलिपियों के एक असूचीबद्ध समूह में की गई थी।
चाणक्य खराब थे?
चाणक्य एक ब्रह्मचारी थे! और उन्हें पुरुषों के महिलाओं के आकर्षण के बारे में भी पता था .. वे स्वाभाविक रूप से स्त्री विरोधी हो सकते हैं या उनके कई मूल कार्य जीवित नहीं रहे .. जैसा कि हम मनुस्मृति में देखते हैं कि महिलाओं पर अच्छे और बुरे छंद हैं ..
चाणक्य नीति कितने हैं?
इसके अलावा, चाणक्य नीति के छह मुख्य संस्करण मौजूद हैं। इनमें से एक, वृद्ध चाणक्य, बेहतर ज्ञात हो गया है। मैंने सोचा कि यदि हम एक नया अनुवाद करने जा रहे हैं तो यह पाठक को संपूर्ण संग्रह की बेहतर समझ देने के लिए संपूर्ण संग्रह को प्रतिबिंबित करना चाहिए।
विष्णुगुप्त किसका नाम है?
चाणक्य (अनुमानतः 376 ई॰पु॰ - 283 ई॰पु॰) चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे कौटिल्य या विष्णुगुप्त नाम से भी विख्यात हैं।
आचार्य चणक के पुत्र विष्णुगुप्त चाणक्य क्या थे?
कौटिल्य उर्फ विष्णु गुप्त अथार्त चणक पुत्र चाणक्य ने तब चंद्रगुप्त को शिक्षा और दीक्षा देने के साथ ही भील, आदिवासी और वनवासियों को मिलाकर एक सेना तैयार की और धननंद के साम्राज्य को उखाड़ फेंककर चंद्रगुप्त को मगथ का सम्राट बनाया।
चाणक्य को राजा क्यों नहीं बने?
आचार्य चाणक्य बहुत बड़े राष्ट्र प्रेमी थे। राजनीति में आने पर उनके मन में कपट और लालचा आ सकता था इसलिए चाणक्य स्वयं राजा नहीं बनें। 2. अपने पिता की हत्या का बदला लेना ही चाणक्य का मुख्य उद्देश्य था ना कि राजा बनना, इसलिए उन्होंने मगध के राजा के रूप में चन्द्रगुप्त मौर्य को चुना।
चाणक्य के अनुसार राजा में कौन कौन से गुण होने चाहिए?
चाणक्य ने राजतन्त्र को उपयोगी संस्था माना। उसके अनुसार राजा में विशिष्ट गुण होने चाहिए। वह धर्मनिष्ठ, सत्यवादी, कृतज्ञ, बलशाली, वृद्धों का सम्मान करने वाला, उत्साही, विनयशील, विवेकी, निर्भीक, न्यायप्रिय, मृदुभाषी और कार्य निपुण होना चाहिए।
60 नीतियां कौन कौन सी हैं?
चाणक्य ke anusar kis mamle me sankoch nahi karna chaiye है?
chanakya niti के अनुसार कभी किसी व्यक्ति को धन के मामलों में संकोच नहीं करना चााहिए। आचार्य कहते हैं कि बिज़नेस में संकोच करने वाला व्यक्ति कभी बुलंदियों को छू नहीं पाता। बल्कि इसके चलते किन्हीं हालातों में कारोबार घाटे में चला जाता है। इसलिए हिदायत दी जाती है कारोबार को लेकर कभी संकोच नहीं करना चाहिए।
चाणक्य नीति परिवार के बारे में
चाणक्य नीति की 10 सबसे प्रमुख बातें
चाणक्य नीति चाणक्य द्वारा रचित एक नीति ग्रन्थ है जिसे चाणक्य नीतिशास्त्र भी कहा जाता है। संस्कृत साहित्य के नीति ग्रंथों में इस ग्रन्थ का विशेष स्थान है।
इस ग्रन्थ का प्रमुख विषय मानव के जीवन को सुखमय और सफल बनाने के लिए व्यावहारिक शिक्षा देना है। ऐसे में आपको भी चाणक्य नीति की प्रमुख सीख जरूर लेनी चाहिए चाणक्य नीति की 10 प्रमुख बातें
1. व्यक्ति को कभी भी अपने मन के राज किसी को नहीं बताने चाहिए। उसे अपने राज मन में रखते हुए ही पूरी लगन से अपने कार्य को पूरा करना चाहिए।
2. जो मित्र आपके सामने आपकी प्रशंसा करे और पीठ पीछे निंदा करे, ऐसे मित्र को तुरंत छोड़ देना चाहिए क्योंकि ऐसा मित्र उस बर्तन के समान होता है जिसमें ऊपर दूध लगा हो लेकिन अंदर ज़हर हो।
3. ऐसे माता – पिता अपने बच्चों के दुश्मन के समान है जिन्होंने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दी। ऐसा शिक्षाविहीन व्यक्ति समाज में सम्मान नहीं पाता है।
4. बचपन में संतान को जैसी शिक्षा दी जाती है उसका विकास उसी प्रकार होता है इसलिए माता – पिता का ये कर्तव्य है कि वे अपनी संतान को सही मार्ग पर चलने की शिक्षा दें जिससे संतान में अच्छे गुण विकसित हों और उसका उत्तम चरित्र विकसित हो सके।
5. मनुष्य के रुप में जन्म मिलना सौभाग्य होता है इसलिए मनुष्य को वेद शास्त्रों का अध्ययन करने और दान जैसे अच्छे कार्य करने में ज्यादा से ज्यादा समय लगाना चाहिए।
6. मनुष्य को कुसंगति से बचना चाहिए क्योंकि मनुष्य की भलाई दुष्ट लोगों का साथ छोड़ देने में ही है।
7. कर्ज से दबा व्यक्ति हर समय दुखी रहता है और उसका दुःख पत्नी वियोग के दुःख और भाई बंधुओं से मिले अपमान के दुःख के समान असहनीय होता है इसलिए कर्ज लेने से बचना चाहिए और बुरे वक्त के लिए धन बचाकर रखना चाहिए।
8. अपने बच्चे को पहले पांच साल दुलार करना चाहिए। अगले पांच साल डांट – फटकार के साथ निगरानी में रखना चाहिए और जब बच्चा सोलह साल का हो जाये तो उसके साथ दोस्त की तरह व्यवहार करना चाहिए।
9. किसी भी व्यक्ति को आवश्यकता से अधिक सीधा नहीं होना चाहिए क्योंकि सीधे तने वाले पेड़ काटे जाते हैं जबकि टेढ़े तने वाले पेड़ों को कोई छूता नहीं है। यहाँ पेड़ के तने की तुलना व्यक्ति के स्वभाव से की गयी है।
10. मित्रता बराबरी वाले लोगों में करना ही ठीक रहता है और हर मित्रता के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ जरूर छिपा होता है।
दोस्तों, चाणक्य नीति की 10 प्रमुख बातें अब आप भी जान गए हैं इसलिए इन्हें अपने जीवन के लिए मार्गदर्शक समझिये।
हमारी टीम को उम्मीद है कि चाणक्य नीति की ये मुख्य बातें आपको पसंद भी आयी होंगी और अपने जीवन को आसान बनाने में सहायक भी साबित होंगी।
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